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एआई के युग में रचनात्मकता को बढ़ावा देते हुए परंपरा और विरासत को आवाज देने में सहयोग करने पर सहमति

वैश्विक मीडिया संवाद 2025: घोषणापत्र ने लोगों को एकजुट करने, साझा सांस्कृतिक प्रथाओं को बढ़ावा देने, वैश्विक रूप से आपस में जुड़े बाज़ारों में नवाचार और सुदृढ़ता को मजबूत करने में मीडिया और मनोरंजन की ताकत की पुष्टि की

मुंबई/ “एक-दूसरे की सांस्कृतिक संवेदनशीलताओं को समझते हुए, रचनात्मकता को बढ़ावा देने के लिए वैश्विक सहयोग ही आगे बढ़ने का रास्ता है।” यह बात, विश्व ऑडियो विजुअल और मनोरंजन शिखर सम्मेलन (वेव्स 2025) के दौरान मुंबई में आयोजित वैश्विक मीडिया संवाद के कई परिणामों में से एक में कही गयी है। संवाद में भाग लेने वाले देशों ने महसूस किया कि देशों में रचनात्मक आयामों को व्यापक बनाना हमारी सामूहिक प्रगति की कुंजी है, क्योंकि हम सभी डिजिटल अंतर को पाटने के मार्ग पर आगे बढ़ रहे हैं। संवाद ने तेजी से वैश्वीकृत होते मीडिया वातावरण के बीच वैश्विक शांति और सद्भाव को बढ़ावा देने में सरकारों की भूमिका पर ध्यान केंद्रित किया, जिसका समापन सदस्य देशों द्वारा वेव्स घोषणा को अंगीकार करने के साथ हुआ।

वैश्विक मीडिया संवाद ने इस भावना को प्रतिध्वनित किया कि दुनिया भर की संस्कृतियों को चित्रित करने वाली फिल्मों में लोगों को करीब लाने की अपार क्षमता होती हैं और प्रतिभागी देशों ने इस संबंध में भारतीय फिल्मों की भूमिका की सराहना की। कहानी कहने के एक मनोरंजक प्रारूप के रूप में, फिल्में एक-दूसरे के साथ सहयोग करने के लिए एक मजबूत ताकत के रूप में कार्य करती हैं। कहानी कहने की कला में प्रौद्योगिकी के संगम के साथ-साथ व्यक्तिगत कहानियाँ भी रचनाकार की अर्थव्यवस्था में एक मजबूत ताकत के रूप में तेजी से उभर रही हैं, जो मनोरंजन की दुनिया को फिर से परिभाषित कर रही हैं। कुछ सदस्य देशों ने "जिम्मेदार पत्रकारिता" को बढ़ाने की आवश्यकता पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने महसूस किया कि इसका समाधान वेव्स के मंच पर आपसी सहयोग से किया जा सकता है।

वेव्स 2025 को वैश्विक समुदाय का एक सूक्ष्म प्रतिरूप बताते हुए, भारत सरकार के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कहा कि शिखर सम्मेलन मीडिया और मनोरंजन क्षेत्र के भविष्य के रोडमैप पर चर्चा करने के लिए कंटेंट निर्माताओं, नीति निर्माताओं, अभिनेताओं, लेखकों, निर्माताओं और दृश्य कलाकारों को एक साझा मंच प्रदान करता है।

अपने संबोधन के दौरान, डॉ. जयशंकर ने वैश्विक मीडिया संवाद 2025 की व्यापक रूपरेखा पर बात की, जिस पर चर्चा की जा रही है। उन्होंने कहा कि विश्व व्यवस्था, जिसका एक मजबूत सांस्कृतिक आयाम है, आज परिवर्तन के दौर से गुजर रही है। उन्होंने कहा, "यह आवश्यक है कि हम अपनी परंपराओं, विरासत, विचारों, प्रथाओं और रचनात्मकता को आवाज़ दें।”

विदेश मंत्री ने कहा कि प्रौद्योगिकी और परंपरा को साथ-साथ चलना चाहिए, क्योंकि प्रौद्योगिकी हमारी विशाल विरासत के बारे में जागरूकता को मजबूत कर सकती है और खासकर युवा पीढ़ियों के लिए, इससे संबंधित चेतना को गहरा कर सकती है। उन्होंने कहा, "यह महत्वपूर्ण है कि युवा प्रतिभाओं को प्रासंगिक कौशल विकास के माध्यम से रचनात्मक सहयोग के युग के लिए तैयार किया जाए। नवाचार उस छलांग की कुंजी है, जो विकसित भारत का निर्माण करेगी।"

डॉ. जयशंकर ने कहा कि एआई के उभरते युग में, संभावनाएं कल्पना से परे हैं, फिर भी उभरती प्रौद्योगिकियों के जिम्मेदार उपयोग की आवश्यकता है। इसके साथ ही पूर्वाग्रह को कम किया जाना चाहिए, कंटेंट का लोकतंत्रीकरण किया जाना चाहिए और नैतिकता को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। उन्होंने वैश्विक मीडिया और मनोरंजन क्षेत्र के प्रमुख मुद्दों पर विचार-विमर्श करने के लिए एक मंच के रूप में वेव्स में विश्वास जताया और अपने संबोधन का समापन करते हुए कहा, "वैश्विक कार्यस्थल और वैश्विक कार्यबल के लिए, मानसिकता, रूपरेखा, नीतियों और प्रथाओं में बदलाव की आवश्यकता है।"

संवाद की शुरुआत करते हुए अपने स्वागत भाषण में भारत सरकार के केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि संस्कृति रचनात्मकता को प्रेरित करती है, जो सीमा-पार के लोगों को जोड़ती है। उन्होंने कहा कि कंटेंट निर्माण और उपभोग तेजी से बदल रहा है, क्योंकि प्रौद्योगिकी हमारी कहानी कहने के तरीके को नया स्वरुप दे रही है। हम एक ऐसे मोड़ पर हैं, जहाँ हमें स्थानीय कंटेंट निर्माण को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है।

सपनों के शहर मुंबई में 77 देशों से आए प्रतिनिधियों का स्वागत करते हुए श्री वैष्णव ने सहयोग की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया और कहा कि साझी सफलता के लिए हमें सह-उत्पादन संधियों, संयुक्त निधियों और एक ऐसे घोषणापत्र पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है, जो हमें डिजिटल अंतर को पाटने तथा भाईचारा, वैश्विक शांति और सद्भाव को बढ़ावा देने में मदद करे। उन्होंने कहा कि हमें रचनात्मकता के वैश्विक आयाम को व्यापक बनाने के लिए विचारों को विस्तार देने की आवश्यकता है।

चर्चा में वरिष्ठतम मंत्रिस्तरीय प्रतिनिधिमंडलों ने अपने विचार व्यक्त किए। भारत ने भाग लेने वाले देशों को 32 क्रिएट इन इंडिया प्रतिस्पर्धा के बारे में जानकारी दी, जिसके परिणामस्वरूप वेव्स के पहले सत्र में दुनिया भर से 700 से अधिक शीर्ष रचनाकारों की पहचान की गई। भारत ने सदस्य देशों को बताया कि अगले संस्करण से, ये प्रतिस्पर्धाएं 25 वैश्विक भाषाओं में आयोजित की जाएँगी, ताकि दुनिया भर से विभिन्न भाषाओं की रचनात्मक प्रतिभाओं की पहचान की जा सके। इससे उन्हें वेव्स मंच पर अपने रचनात्मक कंटेंट को प्रदर्शित करने में मदद मिलेगी। 

इस अवसर पर उपस्थित अन्य गणमान्य व्यक्तियों में भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री डॉ. एल. मुरुगन, सचिव (सूचना एवं प्रसारण) श्री संजय जाजू तथा भारत सरकार के अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे।

PIB

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सम्पादक

डॉ. लीना