Menu

मीडियामोरचा

___________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

Print Friendly and PDF

वेव्स 2025 में मीडिया और मनोरंजन के भविष्य की पुनर्कल्पना

भारतीय एम एंड ई @100: भारतीय मीडिया और मनोरंजन उद्योग के भविष्य को लेकर विचारों का आदान-प्रदान 

मुंबई/ जियो वर्ल्ड कन्वेंशन सेंटर में वेव्स 2025 के उद्घाटन दिवस पर एक आकर्षक पैनल चर्चा हुई जिसका शीर्षक था “भारतीय एमएंडई @100: मीडिया और मनोरंजन के भविष्य की पुनर्कल्पना।” इस सत्र में उद्योग जगत के प्रमुख लोगों ने एक मंच पर आकर भारत के 2047 की ओर बढ़ने के साथ इसके विकास और आगे की राह पर विचार-विमर्श किया। चर्चा का संचालन बिजनेस स्टैंडर्ड की सहयोगी संपादक वनिता कोहली खांडेकर ने किया।

सत्र का उद्घाटन करते हुए, वनिता कोहली खांडेकर ने याद दिलाया कि कैसे मीडिया और मनोरंजन क्षेत्र, जिसका मूल्य वर्ष 2000 के आसपास मात्र ₹500 करोड़ था, अब ₹70,000 करोड़ का उद्योग बन गया है। उन्होंने दो नीतिगत निर्णयों की ओर इशारा किया, जिन्होंने इस वृद्धि को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई - फिल्म निर्माण को उद्योग का दर्जा देना और मल्टीप्लेक्सों को दी गई प्रारंभिक कर छूट। उन्होंने न केवल विषय-वस्तु की गुणवत्ता सुधारने, बल्कि उसके मुद्रीकरण में सहायता करने की एआई की क्षमता पर भी महत्वपूर्ण प्रश्न उठाया। देश की सांस्कृतिक और भाषाई विविधता पर जोर देते हुए उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि विस्तार समावेशी होना चाहिए तथा भारत के विविध दर्शकों के प्रति संवेदनशील होना चाहिए।

ग्रुपएम के प्रबंध निदेशक विनीत कार्णिक ने कहा कि आज मीडिया और मनोरंजन क्षेत्र में विज्ञापन राजस्व का 60% डिजिटल प्लेटफॉर्म से आता है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं, जिसने मूल रूप से सामग्री के उपभोग और विपणन के तरीके को बदल दिया है। एआई को एक सशक्त प्रवर्तक के रूप में स्वीकार करते हुए उन्होंने इस बात पर बल दिया कि विषय-वस्तु को मानवीय बनाये रखना होगा - विशेषकर ऐसे समय में जब संस्कृति स्वयं मोबाइल प्रौद्योगिकी द्वारा आकार ले रही है। उन्होंने कहानी कहने की कला को बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी के रचनात्मक उपयोग की आवश्यकता पर प्रकाश डाला और श्रोताओं को भावी पेशेवरों को तैयार करने के उद्देश्य से शीघ्र इंजीनियरिंग पर मुंबई विश्वविद्यालय के नए पाठ्यक्रम के बारे में बताया।

जेटसिंथेसिस के संस्थापक और सीईओ राजन नवानी ने सामग्री वितरण के भविष्य पर ध्यान केंद्रित किया, जिसके बारे में उनका मानना ​​है कि यह क्रॉस-प्लेटफॉर्म इंटरैक्टिव अनुभवों में विकसित होगा। उन्होंने कहा कि भारत वैश्विक मीडिया एवं मनोरंजन बाजार का मात्र 2-3% हिस्सा रखता है तथा 2047 तक इस हिस्सेदारी को और बढ़ाने के लिए प्रतिभा में निवेश करना तथा देश की निवेश क्षमता को बढ़ाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि मनोरंजन तेजी से गतिशील होता जा रहा है और विभिन्न प्रारूपों के लिए अलग-अलग प्रौद्योगिकियों की आवश्यकता होगी। विमुद्रीकरण पर वनिता की चिंताओं का समाधान करते हुए उन्होंने कहा कि विकसित बाजारों की तुलना में भारत में प्रयोज्य आय अपेक्षाकृत कम है, लेकिन उन्होंने आशा व्यक्त की कि सतत आर्थिक विकास से उपभोक्ता खर्च में वृद्धि होगी। उन्होंने ग्लोबल ई-क्रिकेट प्रीमियर लीग का उदाहरण दिया, जहां दर्शक पहले से ही व्यक्तिगत उपभोग और भुगतान में संलग्न हैं।

इरोस नाउ के सीईओ विक्रम तन्ना ने भारत से मीडिया में एआई नवाचार के लिए वैश्विक केंद्र बनने की आकांक्षा रखने का आह्वान किया। उन्होंने तर्क दिया कि एआई सामग्री के निर्माण और वितरण दोनों को बदल देगा, जिससे उपयोगकर्ताओं को निर्माता बनने के नए तरीके मिलेंगे। उनके अनुसार, डिजिटल युग में अनेक महत्वपूर्ण मोड़ आएंगे तथा भारत को प्रतिस्पर्धी बनाये रखने के लिए रणनीतिक हस्तक्षेप की आवश्यकता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि नई प्रौद्योगिकियों को सरल बनाने से - उन्हें इंटरनेट की तरह सुलभ बनाने से - स्वाभाविक रूप से व्यापार का विस्तार होगा। उन्होंने सत्र का समापन करते हुए कहा कि इस बदलते परिवेश में उद्योग के लिए यह समझना महत्वपूर्ण है कि मशीनों के साथ कैसे जुड़ें तथा विज्ञापन और दर्शकों की सहभागिता के लिए विशाल विषय-वस्तु परिदृश्य का उपयोग कैसे करें।

इस सत्र में भारत के मीडिया एवं मनोरंजन क्षेत्र के बारे में दूरदर्शी दृष्टिकोण प्रस्तुत किया गया तथा इसके भविष्य को आकार देने में नीति, प्रौद्योगिकी, प्रतिभा और सांस्कृतिक प्रासंगिकता के परस्पर प्रभाव को रेखांकित किया गया। वेव्स 2025 जियो वर्ल्ड सेंटर में 4 मई तक जारी रहेगा, जिसमें ऑडियो-विजुअल और मनोरंजन उद्योग में वैश्विक रुझानों पर प्रकाश डालने वाले सत्र होंगे।

PIB

Go Back

Comment

नवीनतम ---

View older posts »

पत्रिकाएँ--

175;250;e3113b18b05a1fcb91e81e1ded090b93f24b6abe175;250;cb150097774dfc51c84ab58ee179d7f15df4c524175;250;a6c926dbf8b18aa0e044d0470600e721879f830e175;250;13a1eb9e9492d0c85ecaa22a533a017b03a811f7175;250;2d0bd5e702ba5fbd6cf93c3bb31af4496b739c98175;250;5524ae0861b21601695565e291fc9a46a5aa01a6175;250;3f5d4c2c26b49398cdc34f19140db988cef92c8b175;250;53d28ccf11a5f2258dec2770c24682261b39a58a175;250;d01a50798db92480eb660ab52fc97aeff55267d1175;250;e3ef6eb4ddc24e5736d235ecbd68e454b88d5835175;250;cff38901a92ab320d4e4d127646582daa6fece06175;250;25130fee77cc6a7d68ab2492a99ed430fdff47b0175;250;7e84be03d3977911d181e8b790a80e12e21ad58a175;250;c1ebe705c563d9355a96600af90f2e1cfdf6376b175;250;911552ca3470227404da93505e63ae3c95dd56dc175;250;752583747c426bd51be54809f98c69c3528f1038175;250;ed9c8dbad8ad7c9fe8d008636b633855ff50ea2c175;250;969799be449e2055f65c603896fb29f738656784175;250;1447481c47e48a70f350800c31fe70afa2064f36175;250;8f97282f7496d06983b1c3d7797207a8ccdd8b32175;250;3c7d93bd3e7e8cda784687a58432fadb638ea913175;250;0e451815591ddc160d4393274b2230309d15a30d175;250;ff955d24bb4dbc41f6dd219dff216082120fe5f0175;250;028e71a59fee3b0ded62867ae56ab899c41bd974

पुरालेख--

सम्पादक

डॉ. लीना