तनवीर जाफ़री/ लोकसभा चुनावों से ठीक पहले सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर आख़िरकार भारतीय स्टेट बैंक ने चुनावी बॉन्ड ख़रीद का विस्तृत डेटा अदालत को पेश कर ही दिया। साथ ही यह भी सार्वजनिक कर दिया कि इन इलेक्टोरल बांड के माध्यम से किस राजनैतिक दल को कितने पैसे प्राप्त हुये। जैसा कि पहले भी होता आया है कि सत्तारूढ़ दल को ही प्रायः सर्वाधिक चंदा मिला करता है । इस बार भी सत्तारूढ़ दल यानी भ…
मीडिया अपनी भूमिका पर विचार करे
वरना आने वाले समय में विश्वसनीयता का संकट हो सकता है खड़ा, पूर्व जस्टिस कुरियन जोसफ की बातों पर गंभीरता से विचार करने की है जरूरत . . .
लिमटी खरे/ पत्रकार हैं . . . पक्षकार हैं …
घोर संक्रमणकाल से गुज़रता भारतीय मीडिया
पर्दे के पीछे इन ऐंकर्स को संचालित करने वाले इनके आक़ा व उनके चैनल्स भी प्रतिबंधित हों
तनवीर जाफ़री/ विपक्षी गठबंधन '"INDIA " ने आख़िरकार सत्ता के साम्प्रदायिक एजेंडे को हर समय अपने चैनल्स पर चलाने वाले उन 14 टीवी एंकरों की एक सूची जारी…
लो आ गया पत्रकारिता का 'गटर काल '
इसे 'लघुशंका काल ' भी कह सकते !
निर्मल रानी/ देश इन दिनों बड़े ही अजीबो-ग़रीब दौर से गुज़र रहा है। मुख्यधारा का भारतीय मीडिया जो सत्ता के समक्ष 'षाष्टांग दंडवत ' हो चुका है। देश के लोकतंत्र का चौथा स्तंभ पुकारा जाने वाला भारतीय मीडिया अब 'गोदी मिडिया' कहकर सम्बोधित किया जाने लगा है। पूरे विश्व की निगाहें इस समय उस चाटुकार भारतीय मीडिय…
मेरा पसंदीदा रंग तो आज भी काला है...
साल 2022 की मीडिया
मनोज कुमार/ तुम खेलो रंगों से, रंग बदलना तुम्हारी आदत में है, मेरा पसंदीदा रंग तो आज भी काला है और काले रंग में समा जाना तुम्हारी फितरत में नहीं क्योंकि तुम रंग बदलने में माहिर हो. साल 2022 मीडिया के ऐसे ही किस्से कहानियों का साल रहा है. सबकी उम्मीदें रही कि मीडिया निरपेक्ष रहे लेकिन यह उम्मीद दूसरे से रही है. कोई खुद निरपेक्ष नहीं बन प…
नफ़रत और अफ़वाहबाज़ी की गिरफ़्त में सोशल मीडिया
तनवीर जाफ़री/ वर्तमान युग में कंप्यूटर -इंटरनेट के सबसे बड़े चमत्कार के रूप में सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफ़ार्म्स को देखा जा रहा है। इसके माध्यम से जहां दूरस्थ इलाक़ों की जो ख़बरें व सूचनायें कई कई दिनों बाद ज़िला व प्रदेश मुख्यालयों में पहुंचा करती थीं वे अब बिना समय गंवाये,तत्काल या लाईव पहुँच जाती हैं। कोरोना काल के समय से शुरू हुआ 'वर्क फ़्रॉम होम ' और 'स्टडी फ़्रॉम होम' का चलन …
एनडीटीवी अस्त हो गया
राजेश बादल/ संस्था के नाम पर भले ही एनडीटीवी मौजूद रहे, लेकिन पत्रकारिता के क्षेत्र में अनेक सुनहरे अध्याय लिखने वाले इस संस्थान का विलोप हो रहा है । हम प्रणॉय रॉय और राधिका रॉय की पीड़ा समझ सकते हैं । छोटे से प्रोडक्शन हाउस को जन्म देकर उसे चैनलों की भीड़ में नक्षत्र की तरह चमकाने वाले इस दंपत्ति का नाम यकीनन परदे पर पत्रकारिता की दुनिया में हरदम याद किया जाएगा ।उनके कोई बेटा नह…
भांड गीरी पर उतारू भारतीय टी वी चैनल्स
निर्मल रानी/ क्रिकेट टी-20 विश्व कप का पिछले दिनों इंग्लैण्ड के 'विश्व विजयी ' होने के साथ समापन हुआ। फ़ाइनल मैच से पूर्व जब भारतीय टीम सेमीफ़ाइनल में पहुंची थी और फ़ाइनल में प्रवेश के लिये इंग्लैंड की ही टीम से संघर्ष कर रही थी उसी समय भारतीय टी वी चैनल्स ने क्रिकेट मैच की भविष्यवाणियों का गोया एक 'वार रूम' सा बना दिया था। बेशक कुछ गंभीर टी वी चैनल इस विषय पर विश्वस्तरीय क्रिकेट …
संवाद से संवेदना जगाइए
मनोज कुमार/ सोशल मीडिया पर एक पीड़ादायक तस्वीर के साथ एक सूचना शेयर की जा रही है कि एक मजबूर पिता और एक मासूम बच्चा अपने भाई की लाश अपनी गोद में लिये कभी उसे दुलारता है तो कभी खुद रोने लगता है. पिता को बच्चे की लाश घर ले जाने के लिए एम्बुलेंस की जरूरत है लेकिन व्यवस्था के पास यह सुविधा नहीं है. मजबूर पिता के पास एम्बुलेंस का किराया देने लायक पैसा नहीं. यह पहली बार नहीं हो रहा है.…
क्या यही है 'विश्वगुरु भारत' की पत्रकारिता का स्तर?
तनवीर जाफ़री/ हमारे देश में चल रही सत्ता और मीडिया की जुगलबंदी, अनैतिकता की सभी हदें पार कर चुकी है। सत्ता की चाटुकारिता करना, झूठ पर झूठ प्रसारित करना और विपक्ष को कटघरे में खड़ा करना गोया इसका पेशा बन चुका है। आज देश में सांप्रदायिक वैमनस्य का जो वातावरण बना है उसके लिये जहां साम्प्रदायिकता को हवा देने वाली राजनैतिक शक्तियां ज़िम्मेदार हैं वहीं उनके नापाक मिशन को राष्ट्रीय स्तर …
और भी मुद्दे --
- सवालों में पत्रकारिता और पत्रकारिता पर सवाल
- मीडिया में हिंदी का बढ़ता वर्चस्व
- कोई अदृश्य ताक़त है जो हर दिन सारे न्यूज़ रूम को ख़बर दे रहा!
- खबरिया चैनल्स तोड़ रहे मर्यादाएं
- सरकार ने टी वी चैनल्स को दिखाया दर्पण
- पत्रकारों को अर्धनग्न कर फोटो सार्वजनिक करने की इजाजत किसने दी!
- अखबारी कागजों की कीमत की आग में झुलसता अखबार उद्योग
- पत्रकारों के सवालों से 'लाजवाब' होते यह 'रणछोड़'
- भारतीय मीडिया इस अपमान का प्रतिकार भी नहीं कर सकता!
- बेनकाब हुआ पश्चिमी मीडिया का दोगला और दोहरापन
- बहुजन मीडिया की जरूरत, आखिर क्यों ?
- संभावनाओं भरा है हिंदी पत्रकारिता का भविष्य
- पत्रकारिता दिवस का मान बढ़ाया भोपाल-इंदौर ने
- नारद दृष्टि : पत्रकारिता का पथ प्रदर्शक
- डिजीटल ट्रांसफार्मेशन के लिए तैयार हों नए पत्रकार
- दैनिक भास्कर का फर्जीवाड़ा!
- बेमानी है प्रेस फ्रीडम की बातें
- 'ग़ुलाम मीडिया ' जनता की बदहाली का सबसे बड़ा ज़िम्मेदार
- भारतीय मीडिया ने झूठ बोलने को आसान बनाया
- पत्रकारिता समाप्त हो रही है और पत्रकार बढ़ते जा रहे हैं!
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- आम चुनाव 2024 के लिए मीडिया सुविधा पोर्टल शुरू
- मीडिया पंजीकृत, मान्यता प्राप्त या गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल नहीं हो सकता: उपराष्ट्रपति
- फैक्ट चेक यूनिट आईटी नियम 2021 के अंतर्गत अधिसूचित
- चुनावी बांड पटाक्षेप और 'ग़ुलाम मीडिया' में पसरा सन्नाटा
- बहुभाषिकता है भारत की शक्ति: प्रो.संजय द्विवेदी
- पत्रकार दीपक विश्वकर्मा पर जानलेवा हमला
- यूनीवार्ता के पूर्व ब्यूरो प्रमुख अरुण केसरी का निधन
- प्रसारण और प्रसार के लिए साझा दृश्य-श्रव्य (पीबी-एसएचएबीडी) शुरू
- मीडिया अपनी भूमिका पर विचार करे
- पत्र-पत्रिकाओं का पंजीकरण अब प्रेस सेवा पोर्टल से ऑनलाइन
- 'जनसंचार शोध' पुस्तक का कुलपति ने किया लोकार्पण
- प्रकृति के दायरे में रहने से ही सतत विकास होगा
- हिन्दी विश्व की तकनीकी मित्र भाषा - डॉ. विकास दवे
- वरिष्ठ पत्रकार अरुण कुमार श्रीवास्तव नहीं रहे
- पत्र- पत्रिकाओं के पंजीकरण को अब प्रेस सेवा पोर्टल
- पत्रकार की गिरफ्तारी के खिलाफ विरोध मार्च
- पत्रकार की गिरफ्तारी के खिलाफ एनयूजेआई का संघर्ष का ऐलान
- मीडिया समाज का दर्पण: थानवी
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Anurag yadavJanuary 11, 2024
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सुरेश जगन्नाथ पाटीलSeptember 16, 2023
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Dr kishre kumar singhAugust 20, 2023
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Manjeet SinghJune 23, 2023
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AnonymousJune 6, 2023
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AnonymousApril 5, 2023
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AnonymousMarch 20, 2023
सम्पादक
डॉ. लीना