कैलाश दहिया / प्रेम कुमार मणि के प्रक्षिप्त लेखन से शुरू हुई बात इनके द्वारा धमकी के रूप में सामने आई है। खैर, आगे बात की जाए। …
Blog posts : "साहित्य "
क्योंकि पेशे से हम पत्रकार हैं!!
मनिष कुमार//
समय के अभाव से गुस्साते परिवार-रिश्तेदार हैं
साथ ही ना अच्छा घर ना कार है
क्योंकि पेशे से हम पत्रकार हैं!…
सोशल मिडिया वाले देश को बचा लें
गुलाम कुन्दनम//
मुज्जफरनगर फिर धधक उठा,
काशगंज मुज्जफरनगर बन रहा,
जो बीज सत्ता के खातिर बोए गये थे
आज वही रक्तबीज बन रहा।…
पत्रकारिता कैसे करूँ?
पूजा प्रांजला //
पत्रकार तो बन रही,
पत्रकारिता कैसे करूँ?
अच्छाइयां मिलती नहीं,
बुराइयाँ कितनी लिखूं ?
ये देश है जितनी बड़ी…
हिंदी के श्राद्ध पर्व पर हिंदी पत्रकारिता का पिंडदान
राम प्रकाश वरमा/ हिन्दी और हिन्दी पत्रकारिता के कर्मकांडी श्राद्धपर्व के माहौल में हिन्दी बोलने पर जुर्माने की सजा! हिन्दी का पिण्डदान करने सरकारी अय्याशों के साथ ‘कामसू़त्र’ की नई विधा तलाशने का सपना संजोए हिंदी पुत्रों के विदेश जाने का शुल्क बस पांच हजार! देश में रोमन लिप…
पत्रकाऱ
अमलेंदु कुमार अस्थाना //
हम नहीं लौट पाते,
जैसे शाम ढले पंछी लौटते हैं घोंसलों में,
अंधेरी रात जब दौड़ती है मुंह उठाए हमारी ओर…
पत्रकार है पत्रकार ?
मनोज कुमार/
दर्जनों डिग्री लेकर जब मैं बेरोजगार बना, सम्पादक की मेहरबानी से बिन तनख्वाह पत्रकार बना।
जेब में कैमरा, गाड़ी में PRE…
कौन निकालेगा जनता का अख़बार ?
मनोज कुमार झा //
विज्ञापन ख़बरों की तरह
और ख़बरें विज्ञापनों की तरह
अख़बार में देश-दुनिया का हाल
कुछ इसी तरह
नँगाझोर बाज़ारवाद …
परसाई का मूल्यांकन क्यों नहीं?
एम् एम् चन्द्रा / ‘जब बदलाव करना सम्भव था
मैं आया नहीं: जब यह जरूरी था
कि मैं, एक मामूली सा शख़्स, मदद करूँ,
तो मैं हाशिये पर रहा।’…
गाँव में खबरों का कुँआ हैं
अर्पण जैन "अविचल"/ ये उँची-लंबी, विशालकाय बहुमंज़िला इमारते, सरपट दौड़ती-भागती गाड़ीयाँ, सुंदरता का दुशाला औड़े चकमक सड़के, बेवजह तनाव से जकड़ी जिंदगी, चौपालों से ज़्यादा क्लबों की भर्ती, पान टपरी की बजाए मोबाइल से सनसनाती सभ्यता, धोती-कुर्ते पर शरमाती और जींस पर इठलाती जव…
उपरवाले के घर से
(मैं, राजदेव रंजन)
ग़ुलाम कुन्दनम//
उपरवाले के घर से मैं,
राजदेव रंजन बोल रहा हूँ।
मेरे साथ चतरा के इंद्रदेव,
चंदौली के हेमंत,…
और फिर से जिंदा हो जाओ
अतुल गर्ग //
आज कलम का कागज से ""
मै दंगा करने वाला हूँ,""
मीडिया की सच्चाई को मै ""
नंगा करने वाला हूँ ""
मीडिया जिसको लोकतंत्र का ""…
बापू को भेंट !
इस बार चरखा नहीं, वालमार्ट
मनोज कुमार / बापू इस बार आपको जन्मदिन में हम चरखा नहीं, वालमार्ट भेंट कर रहे हैं. गरीबी तो खतम नहीं कर पा रहे हैं, इसलिये गरीबों का खत्म करने का अचूक नुस्खा हम इजाद कर लिया है. खुदरा बाजार में हम विदेशी पूंजी न…
हिंदी की फुल स्पीड...!!
तारकेश कुमार ओझा/ जब मैने होश संभाला तो देश में हिंदी – विरोध और समर्थन दोनों का मिला – जुला माहौल था। बड़ी संख्या में लोग हिंदी प्रेमी थे, जो लोगों से हिंदी अपनाने की अपील किया करते थे। वहीं दक्षिण भारत के राज्यों खास कर तामिलनाडु में इसके हिंसक विरोध की खबरें भी जब …
भावनाओं का ज्वार, रोए जार- जार...
भावनाओं का ऐसा ज्वार उन्हीं मामलों पर हिलोरे मारता है जो मीडिया की सुर्खियों में हो
तारकेश कुमार ओझा/ मेरे मोहल्ले के एक बिगड़ैल युवक…
व्यापक... व्यापमं....!!
तारकेश कुमार ओझा / व्यापमं....। पहली बार जब यह शब्द सुना तो न मुझे इसका मतलब समझ में आया और न मैने इसकी कोई जरूरत ही समझी। लेकिन मुझे यह अंदाजा बखूबी लग गया कि इसका ताल्लुक जरूर किसी व्यापक दायरे वाली चीज से होगा। मौत पर मौतें होती रही, लेकिन तब भी मैं उदासीन बना …
इन "ललितों" का तो ऐसा ही है !!
तारकेश कुमार ओझा / उन दिनों किसी अखबार में पत्रकार होना आइएएस – आइपीएस होने से किसी मायने में कम महत्वपूर्ण नहीं था। तब किसी भी पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी के कार्यालय के सामने मुलाकातियों में शामिल करोड़पति से लेकर अरबपति तक को भले ही अपनी बारी के लिए लंबी प्रतीक्षा कर…
सोशल साइट्स : चर्चित रहने का एक अच्छा जरिया
डॉ. भूपेन्द्र सिंह गर्गवंशी/ समीक्षक का काम टिप्पणी करना होता है। उसकी समझ से वह जो भी कर रहा है, ठीक ही है। मैं यह कतई नहीं मान सकता, क्योंकि टिप्पणियाँ कई तरह की होती हैं। कुछेक लोग उसे पसन्द करते हैं, बहुतेरे नकार देते हैं। पसन्द और नापसन्द करना यह सम…
प्याऊ का उद्घाटन उत्सव
मनोज कुमार/ अखबार रोज एक न एक रोचक खबर अपने साथ लाती है. यह खबर जितनी रोचक होती है, उससे कहीं ज्यादा सोचने पर विवश करती है और लगता है कि हम कहां जा रहे हैं? आज एक ऐसी ही खबर पर नजर पड़ी. खबर में लिखा था कि राज्य के एक बड़े मंत्री प्याऊ का उद्घाटन करेंगे. खबर पढक़र चेहरे पर बरबस मुस्…
चर्चित रहने के लिए गालियाँ पाना जरूरी!
जो लोग मनुवादी व्यवस्था के विरोध में हैं उन्हें भी चाहिए कि वे वंचित समाज के लोगों को स्वार्थी/सत्तालोलुपों के चंगुल में जाने से बचाएँ, तभी सही मायने में उनके लेखन की सार्थकता सकारात्मक कही जाएगी…
नवीनतम ---
- जी मीडिया के लद गए अच्छे दिन ?
- झारखंड में जल्द ही संगठन विस्तार
- डबल्यूजेएआई की स्व नियामक इकाई डबल्यूजेएसए का पुनर्गठन, प्रो. संजय द्विवेदी को बनाया गया चेयरमैन
- आंदोलनरत अन्नदाता: उदासीन सरकार, ख़ामोश मीडिया
- आध्यात्मिक फिल्म ‘The Light’ की स्क्रीनिंग
- Movies often show corrupt politicians
- कारोबारी मीडिया ने इस देश को एक हताश लोकतंत्र में बदल दिया
- हमें सुनाई भी दे रहा है, दिखाई भी दे रहा है और आपको अंजना मैम?
- ‘मूक’ समाज को आवाज देकर बन गए उनके ‘नायक’
- संस्कृति और भारतबोध के प्रखर प्रवक्ता हैं सच्चिदानंद जोशीः प्रो. द्विवेदी
- गले या पेशाब की थैली का कैंसर?
- ‘यह सुधार-समझौतों वाली मुझको भाती नहीं ठिठोली’
- गलत सूचना प्रसार रोकने के लिए 'मिथ वर्सेस रियलिटी रजिस्टर' की शुरुआत
- शेफाली शरण ने पीआईबी के पीडीजी का पदभार संभाला
- डब्ल्यूजेएआई का कई स्तरों पर विस्तार
- आम चुनाव 2024 के लिए मीडिया सुविधा पोर्टल शुरू
- मीडिया पंजीकृत, मान्यता प्राप्त या गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल नहीं हो सकता: उपराष्ट्रपति
- फैक्ट चेक यूनिट आईटी नियम 2021 के अंतर्गत अधिसूचित
वर्गवार--
- feature (31)
- General (179)
- twitter (1)
- whatsapp (2)
- अपील (8)
- अभियान (9)
- अख़बारों से (3)
- आयोजन (96)
- इंडिया टुडे (3)
- खबर (1629)
- जानकारी (5)
- टिप्पणी (1)
- टीवी (3)
- नई कलम (1)
- निंदा (4)
- पत्रकारिता : एक नज़र में (2)
- पत्रकारों की हो निम्नतम योग्यता ? (6)
- पत्रिका (44)
- पुस्तक समीक्षा (46)
- पुस्तिका (1)
- फेसबुक से (204)
- बहस (13)
- मई दिवस (2)
- मीडिया पुस्तक समीक्षा (20)
- मुद्दा (498)
- लोग (8)
- विरोधस्वरूप पुरस्कार वापसी (6)
- विविध खबरें (571)
- वेकेंसी (14)
- व्यंग्य (30)
- शिकायत (5)
- शिक्षा (10)
- श्रद्धांजलि (118)
- संगीत (1)
- संस्कृति (1)
- संस्मरण (31)
- सम्मान (17)
- साहित्य (100)
- सिनेमा (16)
- हिन्दी (5)
पुरालेख--
- May 2024 (4)
- April 2024 (11)
- March 2024 (12)
- February 2024 (11)
- January 2024 (7)
- December 2023 (7)
- November 2023 (5)
- October 2023 (16)
- September 2023 (14)
- August 2023 (11)
- July 2023 (15)
- June 2023 (12)
- May 2023 (13)
- April 2023 (17)
- March 2023 (21)
टिप्पणी--
-
Anurag yadavJanuary 11, 2024
-
सुरेश जगन्नाथ पाटीलSeptember 16, 2023
-
Dr kishre kumar singhAugust 20, 2023
-
Manjeet SinghJune 23, 2023
-
AnonymousJune 6, 2023
-
AnonymousApril 5, 2023
-
AnonymousMarch 20, 2023
सम्पादक
डॉ. लीना