उर्मिलेश/ न्यूज़ चैनलों ने अपने स्टूडियो में ‘वार-रूम’ बनायें है. शायद ‘वार’ भी चाहते होंगे! टीआरपी उछलेगी तो कमाई भी! इनके चलाने वाले जानते हैं कि आज के दौर में हर युद्ध मनुष्यता के हितों की क़ीमत पर होता है! पर इनके 'कवरेज' में सिर्फ युद्धोन्माद नजर आता है, समझ और विवेक सिरे से गाय…
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अगर आपमें पत्रकारिता का थोड़ा कुछ भी बचा होता !
न्यूज चैनलों के लिए आज बोलने का नहीं, सोचने का दिन
विनीत कुमार/ क़ायदे से आज समाचार चैनलों को अपनी तरफ से कुछ नहीं करना था. अपनी नकली आक्रामक भाषा और भोथरी समझ को एक तरफ करके सिर्फ पत्र सूचना कार्यालय( पीआईबी) की ओर से की गयी कवरेज, भारत के विदेश सचिव विक्रम मिसरी, कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह की ओर से प्रेस क…
आपसी रज़ामंदी का सौरभ-राजदीप बेइज़्ज़ती मॉडल
विनीत कुमार/ पहले एनडीटीवी और फिर बाद में सीएनएन-आईबीएन पर जब मैं राजदीप सरदेसाई को एंकरिंग करते देखा करता तो बहुत संभव है कि सौरभ( सौरभ द्विवेदी ) भी देखा करते होंगे और मेरी तरह सोचते होंगे कि एक दिन मुझे भी टीवी पर दिखना है.…
इनके लिए युद्ध या युद्धोन्माद भी ‘TRP-इवेंट’ जैसे
यहां लिखने और दिखाने को बहुत कुछ है! थोड़ी कोशिश तो कीजिये!
उर्मिलेश/ टीवीपुरम् के एंकर-रिपोर्टर अब ‘युद्ध-युद्ध’ खेल रहे हैं! एंकर स्टूडियो से और रिपोर्टर सरहदी गाँवों-क़स्बों से! कल देखा,…
तथ्यपरक रिपोर्टिंग का रिवाज ही खत्म
उर्मिलेश/ राष्ट्रीय राजनीति हो या देश का कोई भी बड़ा घटनाक्रम; उसके बारे में देश के टीवी चैनल जिस तरह की खबरों का प्रसारण करते हैं या उन पर चर्चा कराते हैं; उसका जमीनी सच से वास्ता नहीं होता! सच को इस तरह तोड-मरोड और विकृत करके वे पेश करते हैं कि सुनने और देखने वालों के दिमाग में सरक…
कुछ खबरें हमारे मेन मीडिया से बिल्कुल गायब हैं
शकील अख्तर/ कुछ खबरें हमारे मेन मीडिया से बिल्कुल गायब हैं।
एक, कल पहलगाम, श्रीनगर और घाटी के कई इलाकों में आतंकवाद के खिलाफ प्रदर्शन हुए। अस्पतालों में घायलों को खून देने के लिए स्थानीय लोगों की ला…
एक ही मीडिया हाउस के हिंदी व अंग्रेजी पत्र
दोनों भाषाओं में वो क्या कर रहे हैं, ये देखना बेहद दिलचस्प
राकेश/ जिन बड़े समूहों के `मीडिया प्रोडक्ट’ हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में हैं, वो क्या कर रहे हैं, ये देखना बेहद दिलचस्प है। इन सम…
यह भारतीय मीडिया के आत्म-भ्रमित होने का प्रमाण
अमेरिकी- भारतीय मीडिया और प्रधानमंत्री की अमेरिकी यात्रा
मनोज अभिज्ञान/ अमेरिका के प्रतिष्ठित समाचार पत्र 'वॉल स्ट्रीट जर्नल' में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिकी यात्रा को …
कारण मीडया की आज़ादी पर लगी पाबंदी भी
कुम्भ हादसा
पंकज श्रीवास्तव/ कुम्भ में तमाम श्रद्धालुओं की जान लेने वाले हादसे का एक कारण मीडया की आज़ादी पर लगी पाबंदी भी है। मुख्यधारा के टीवी चैनल और अख़बार इतज़ाम को लेकर मोदी-योगी की वाह-वाही में लगे रहे जबकि संगम पहुँचने के लिए जनता बेहद पर…
फ्रीलांसर के हकों की चर्चा कब और किस तरह होगी
पुष्पराज शांता शास्त्री / माननीय श्री --- जी,
शायद मुझसे आप अनजान हों। अनजान को पत्र भेजकर संवाद स्थापित करने की प्राचीन परंपरा रही है।भारतीय पत्रकारिता में हाल के वर्षों में यह परंपरा मृत हो गई है।किन्हीं के घर का पता नहीं म…
पत्रकारों के शासन पर दबाव का असर
शिशिर सोनी/ तीन दिनों के भीतर सुरेश चंद्राकर को हैदराबाद से छत्तीसगढ़ पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। उस पर बस्तर के पत्रकार मुकेश चंद्राकर के मर्डर का आरोप है। मुकेश की कुल्हाड़ी से काट कर सिहरा देने वाली हत्या कर दी गई थी। तीन आरोपी पहले गिरफ्तारी के गिरफ़्त में हैं। चौथा और मुख्य आरो…
पत्रकारों की नई पीढ़ी उभरी
औरंगाबाद में पत्रकारिता भाग- 2
प्रेमेन्द्र/ पिछले भाग में मैने पत्रकारों की उस पीढ़ी का जिक्र किया था जो 70 के दशक से 80 के दशक तक सक्रिय थी। इनमें नौ लाख सिंह, अनिरुद्ध सिंह, नीलम बाबू, उदय सिंह, त्रिभुवन सिंह, लल्लू सिंह, जग…
औरंगाबाद में पत्रकारिता का इतिहास
भाग 1
प्रेमेन्द्र/ आज कल प्रेस क्लब की चर्चा कुछ ज्यादा ही हो रही है. आइये मैं आपको ले चलता हूँ औरंगाबाद में पत्रकारिता के इतिहास की तरफ-…
पत्रकारिता गहरे संकट में है
उर्मिलेश/ हमारे समाज में मीडिया का कारपोरेट तंत्र फल-फूल रहा है पर पत्रकारिता गहरे संकट में है. असल में पत्रकारिता प्रोफेशनल और ऑब्जेक्टिव होकर ही की जा सकती है. मौजूदा मीडिया उद्योग को प्रोफेशनलिज्म और ऑब्जेक्टिविटी हरगिज मंजूर नहीं!…
वह बोलना भूल गए हैं!
शकील अख्तर / मीडिया पूरी तरह अनुशासित हो गया है।
पहले चित्र में पिंजरे में बंद चुप!
दूसरे चित्र में उसके बाद लोकसभा अध्यक्ष को चुपचाप सुनता हुआ!…
सत्ता से असहमत यूट्यूबर्स के लद जाएंगे दिन !
विनीत कुमार/ नब्बे के दशक में जब निजी टेलिविजन कार्यक्रमों और बाद में चैनलों की लोकप्रियता के साथ-साथ उसकी विश्वसनीयता बढ़ी तो दूसरी तरफ पब्लिक ब्रॉडकास्टिंग की साख कम हुई. एक समय ऐसा भी आया कि रॉयटर जैसी एजेंसी ने जब इसे लेकर सर्वे किया तो दूरदर्शन से कहीं ज़्यादा आजतक को विश्वस…
और मीडिया का मुँह, विज्ञापन देकर बंद किया जाता रहा है
विनीत कुमार/ दिल्ली से छपनेवाले अख़बारों में शायद ही ऐसा कोई दिन हो कि किसी कोचिंग संस्थान का पूरे पेज में विज्ञापन न हो. जैसे ही ये कोचिंग संस्थान विज्ञापनदाता हो जाते हैं, मीडिया का ध्यान इस बात से हट जाता है कि इनके भीतर कोई गड़बड़ी भी हो सकती है ? लिहाजा, ये कोचिंग संस्थान इन…
सोशल मीडिया को उसके सकारात्मक और नकारात्मक पक्ष के साथ ही देखा जाना चाहिए
लेकिन इसे वैकल्पिक मीडिया नहीं कहा जाना चाहिए
उर्मिलेश/ सोशल मीडिया लोगों को सूचना और थोडा ज्ञान तो दे रहा है. पर इसका बड़ा हिस्सा लोगों से उनकी सह्रदयता और संवेदना छीन रहा है. समझदार बनाने की जगह अनेक लोग…
मेनस्ट्रीम मीडिया ने खुद को विपक्ष के विरुद्ध खड़ा कर दिया
नरेन्द्र नाथ मिश्रा / इन दिनों मेनस्ट्रीम मीडिया खासकर टीवी के सामने यू ट्यूब और अल्टरनेटिव मीडिया के अधिक तेजी से पसरने पर बहस हो रही है। वहां विपक्षी स्पेस से जुड़े आवाज के अधिक मजबूत होने पर बहस हो रही है। इसके लिए लंबी-लंबी दलील दी जा रही है। जबकि इसका बहुत आसान…
इंडिया टुडे ग्रुप का बुर्जुआजी-सर्वहारा मॉडल
मीडिया संस्थान ग़ैरबराबरी का अड्डा!
विनीत कुमार/ एक ही मीडिया संस्थान इंडिया टुडे ग्रुप की एक मीडियाकर्मी हैलिकॉप्टर से उड़कर ज़मीन पर देश के मेहनतकश लोगों के बीच उतरती हैं और जिन्हें कई बार भकुआए अंदाज़ से लोग देखते…
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- अगर आपमें पत्रकारिता का थोड़ा कुछ भी बचा होता !
- न्यूज चैनलों के लिए आज बोलने का नहीं, सोचने का दिन
- बिहार समाचार के वार्षिकांक 2024 का लोकार्पण
- आपसी रज़ामंदी का सौरभ-राजदीप बेइज़्ज़ती मॉडल
- फर्जी खबरों और अश्लीलता के विरुद्ध अभियान छेड़िए
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रवि अहिरवारJanuary 6, 2025
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पंकज चौधरीDecember 17, 2024
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Anurag yadavJanuary 11, 2024
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सुरेश जगन्नाथ पाटीलSeptember 16, 2023
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Dr kishre kumar singhAugust 20, 2023
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Manjeet SinghJune 23, 2023
सम्पादक
डॉ. लीना