पत्रकारो को न्यूनतम योग्यता से कैसे जोडा जाए, इस पर भी उनके संशय
नई दिल्ली। सूचना एवं प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने पत्रकारो की न्यूनतम योग्यता तय किए जाने के बारे मे प्रेस कौसिल आफ इंडिया के प्रमुख मार्कंडेय काटजू की राय पर संशय जाहिर किया है। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता जगत की विशालता को सामान्य योग्यता से कैसे जोडा जाएगा, इस पर उनके संशय है। सूचना एवं प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने देश मे मीडिया को उद्योग मानकर उसके राजस्व माडल में सुधार करने तथा समाचार एजेसियो की भूमिका को मजबूत करके मीडिया मे बढ रही क्षेत्रीय और राष्ट्रीयता के बीच समन्वय कायम करने की जरूरत भी जतायी है। श्री तिवारी आज समाचार एजेसी यूनाइटेड न्यूज आफ इंडिया (यूएनआई) के 52वीं वर्षगांठ पर एक समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर यूएनआई बोर्ड के अध्यक्ष विश्वास त्रिपाठी भी उपस्थित थे।
उन्होने कहा कि यह अजीब विरोधाभास की मीडिया का जितना विस्तार हो रहा है, वह उतना ही क्षेत्रीय एवं स्थानीय होता जा रहा है। छोटे शहरो मे राजधानी मे उनके जीवन से जुडे समाचारो को बहुत कम जगह मिल रही है। उन्होने इस विरोधाभास को खत्म करने के लिए समाचार एजेसियो की भूमिका को बढाने पर बल दिया।
यहाँ उन्होंने यह भी कहा कि आज मीडिया की स्थिति इस मायने मे ठीक नहीं है कि उनके अग्रमि स्वरुप तो मजबूत है लेकिन पार्श्व आधार कमजोर है। उन्होने कहा कि मीडिया मे आज राजस्व माडल की भारी दिक्कत है। बहुत तेज तर्रार और तडक भडक वाले मीडिया संस्थानो के लेखा खातो मे स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। उन्होने कहा कि मीडिया को उद्योग का दर्जा देकर उसके राजस्व माडल को ठीक करने की जरुरत है। केबल टेलीविजन का डिजीटलीकरण इसी मकसद से शुरु किया गया है ताकि प्रसारण उद्योग के राजस्व माडल को पारर्दशी बनाया जाये।
बाद मे श्री तिवारी ने पत्रकारिता के बदलते स्वरुप को जिम्मेदाराना बनाने के लिए पत्रकारो की न्यूनतम योग्यता निर्धारित किये जाने की जरुरत के एक सवाल के जवाब मे कहा कि इस सवाल पर भारतीय प्रेस परिषद की एक समिति विचार कर रही है। वैसे व्यक्तिगत रुप से वह मानते है कि पत्रकारिता एक अत्यंत व्यापक क्षेत्र है जिसमे एक न्यूनतम योग्यता निर्धारित करना कठिन काम होगा।
श्री तिवारी ने कहा कि प्रेस कौसिल ने पत्रकारो की योग्यता तय करने के बारे मे एक समिति गठित की है और उनका इस बारे मे कोई टिप्पणी करना उचित नहीं होगा। श्री तिवारी ने कहा-“ प्रेस कौसिल के सम्मानित प्रमुख श्री काटजू ने यह प्रस्ताव किया है और मै उनकी इज्जत करता हूं। इस विभाग का मंत्री होने के नाते अपनी व्यक्तिगत राय रखना मेरे लिए उचित नहीं होगा, लेकिन उन्होने कहा-मेरी छोटी सी समझ यह कहती है कि पत्रकारिता जगत व्यापक और विशाल है। इसमे अर्थ शास्त्री हो, कूटनीतिक हो, ग्रामीण भारत से जुडे विशेषज्ञ और जेडर की समस्याओ से संबंधित विशेषज्ञ हो। उनकी बाते दो रूपये के अखबार के माध्यम से लोगो को मिल जाती है। ऐसे मे पत्रकारो की योग्यता को एक सामान्य न्यूनतम योग्यता से कैसे समन्वय होगा, यह देखा जाना चाहिए।
हालांकि श्री तिवारी ने विश्वास व्यक्त किया कि इस संबंध मे गठित प्रेस कौसिल की समिति को इन विषयो पर विचार करेगी। पत्रकारो की न्यूनतम योग्यता को लेकर मीडिया जगत भी उत्तेजित है और इस बारे मे अच्छी खासी बहस छिड चुकी है। अनेक बडे पत्रकारो ने इसका विरोध करते हुए कहा है कि बिना डिग्री वाले अनेक पत्रकारो ने मीडिया के लिए उल्लेखनीय योगदान किया है।